Thursday, September 18, 2008

मोनिका के चालीस प्रेम पत्र-एक


विनोद मुसान
अपने
अच्छे दिनों में मोनिका ने जब अपने प्रेमी अबू सलेम को प्रेम पत्र लिखे होंगे, तब शायद उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उसके इन प्रेम पत्रों को भरे बाजार में उछाल कर उसे रुसवा किया जाएगा। आमतौर पर प्यार में चोट खाए प्रेमी द्वारा ही ऐसा किया जाता है। लेकिन, यहां तो कहानी ही दूसरी है। इस बार मोनिका केदिल पर दाग उसके प्रेमी ने नहीं बल्कि एक न्यूज चैनल ने लगाए हैं। भद् दे अंदाज में मोनिका के प्रेम पत्रों की प्रस्तुति देखने के बाद मन में एक टीस सी उठी और दिल ने कहाऱ्यूं रुसवा करो किसी के टूटे दिल को बाजार में, पाती प्रेम की लिखी थी उसने किसी के प्यार में, अब उसका सि का ही खोटा निकला, तो या यूं ही फेंक दोगे उसे भरे बाजार में। ...और फिर यह हक 'आपको` किसने दिया कि किसी के निजी प्रेम पत्रों को यूं बाजार में नीलाम करो। मोनिका और उसका प्रेमी अगर गुनाहगार हैं तो उन्हेंे सजा देने का अधिकार आपको किसने दिया। एक न्यूज चैनल के हाथ लगे मोनिका द्वारा अबु सलेम को लिखे चालीस प्रेम पत्रों का चैनल द्वारा कुछ इस तरह प्रस्तुतिकरण किया जा रहा है, जैसे इस बार उसने शताब्दी की सबसे महानत्म खोज कर डाली हो।
..............एक बानगी देखिए
-कहने को न्यूज चैनल और न्यूज की शुरूआत कुछ इस अंदाज में की जाती है, जैसे अब अगले आधे घंटे तक मदारी का खेल दिखाया जाने वाला हो। -टीवी स्क्रीन पर मोनिका की हैंडराइटिंग में पत्रों को दिखाया जा रहा है, जिसकी एक-एक लाइन दर्शक बड़ी आसानी से पड़ सकते हैं। -साथ में सुनाई देती है एंकर की भद् दी सी आवाज। आवाज में कुछ इस तरह की शरारत, जैसे स्क्रीन पर किसी वेश्या द्वारा खुलेआम अंग प्रदर्शन किया जा रहा हो। -एंकर द्वारा प्रेम पत्रों में लिखी एक -एक लाइन को कुछ इस अंदाज में पड़कर सुनाया जाता है जैसे रॉ के किसी अधिकारी के हाथ आईएसआई का खुफिया पत्र लग गया हो। ऱ्यहां तक तो ठीक था, लेकिन जब न्यूज एंकर प्रेम पत्रों में लिखी कुछ ऐसी बातों को प्रस्तुत करता है (जिनको यहां पर लिखना भी शायद अनुचित हो) जो नहीं करनी चाहिए तो दुख होता है यह सोच कर कि पत्रकारिता के नाम पर टीवी चैनलों में ये या बेचा जा रहा है।
क्रमश
: .....

6 comments:

Shastri JC Philip said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में इस नये चिट्ठे का एवं चिट्ठाकार का हार्दिक स्वागत है.

मेरी कामना है कि यह नया कदम जो आपने उठाया है वह एक बहुत दीर्घ, सफल, एवं आसमान को छूने वाली यात्रा निकले. यह भी मेरी कामना है कि आपके चिट्ठे द्वारा बहुत लोगों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिल सके.

हिन्दी चिट्ठाजगत एक स्नेही परिवार है एवं आपको चिट्ठाकारी में किसी भी तरह की मदद की जरूरत पडे तो बहुत से लोग आपकी मदद के लिये तत्पर मिलेंगे.

शुभाशिष !

-- शास्त्री (www.Sarathi.info)

Shastri JC Philip said...

एक अनुरोध -- कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन का झंझट हटा दें. इससे आप जितना सोचते हैं उतना फायदा नहीं होता है, बल्कि समर्पित पाठकों/टिप्पणीकारों को अनावश्यक परेशानी होती है. हिन्दी के वरिष्ठ चिट्ठाकारों में कोई भी वर्ड वेरिफिकेशन का प्रयोग नहीं करता है, जो इस बात का सूचक है कि यह एक जरूरी बात नहीं है.

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.


डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत बढिया और सटीक लेखन ब्लोग जगत में आपका स्वागत है निरंतरता की चाहत है
फुर्सत हो तो मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें

Sanjay Tiwari said...

मीडिया पर अच्छा कटाक्ष है.

vinodkmusan said...

शुक्रिया
उम्मीद है आप आगे भी इसी तरह मार्गदर्शन करते रहेंगे।