Sunday, June 20, 2010

मर्यादा में रहें, आपका स्वागत है


विनोद के मुसान
ऋषिकेश की हृदयस्थली और प्रमुख आस्था केंद्र त्रिवेणी गंगा घाट पर 13 जून की सुबह श्रद्धालुओं और गंगा सेवा समिति से जुड़े कार्यकर्ताओं ने जापानी पर्यटकों के दल के एक गाइड की जमकर धुनाई कर डाली।
आरोप था कि सप्ताह भर से त्रिवेणी घाट पर सुबह सवेरे जापानियों का यह दल पश्चिमी सभ्यता की तर्ज पर नंगधडग़ होकर गंगा की लहरों में मौज-मस्ती करने आ रहा था। जिससे आस्था के इस केंद्र में श्रद्धालु खुद ही शर्मिंदा हो रहे थे। उन्हें देखने के लिए यहां मनचलों की भीड़ भी लग जाती थी। पुलिस प्रशासन का तो इस ओर ध्यान नहीं गया, लेकिन स्थानीय लोगों ने विदेशियों के स्वदेशी गाइड को इस तरह की हरकतों से बाज आने को कहा। लेकिन वह नहीं माना। रविवार को सुबह जैसे ही गाइड विदेशी पर्यटकों को लेकर त्रिवेणी पहुंचा। गंगा सेवा समिति से जुड़े कार्यकर्ताओं ने गाइड की जमकर धुनाई कर दी।
घटना के बाद सवाल उठना लाजमी है कि यह कितना सही है और कितना गलत? एक ओर जहां हम पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तमाम योजनाएं चलाते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके साथ इस तरह का व्यवहार कहां तक सही है?
ऋषिकेश शुरू से ही विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। विदेशी सैलानी यहां आकर गंगा तट पर अपार शांति प्राप्त करते हैं। टू-पीस बिकनी में गंगा तटों पर लेटे सन-बाथ लेना और अठकेलियां करना उनके लिए आम बात है। स्थानीय लोग भी पश्चिमी सभ्यता के इस रूप से भली-भांति परिचित हैं। इसलिए उन्हें कोई परेशान भी नहीं करता। वे स्वच्छंद रूप से गंगा तटों पर इसी तरह विचरण करते हैं। लेकिन दिक्कत तब होती है, जब ये सैलानी आस्था के उन घाटों पर इस तरह का व्यवहार करते हैं, जहां हिंदू संस्कृति इस बात की इजाजत नहीं देती।
हिंदुओं के लिए गंगा जल में स्नान करना आज भी कई जनमों में कमाए गए पूण्य के समान है। जबकि कुछ सैलानी इन घाटों पर ठीक उसी तर्ज पर स्नान करने उतरते हैं, जैसे फाइवस्टार होटल के किसी स्विमिंग पूल में।
मतलब साफ है, आप हमारे देश में आइए, आपका स्वागत है। घूमिए-फिरिए, खूब मौज-मस्ती किजिए, लेकिन ध्यान रखिए किसी की धार्मिक भावनाएं आहत न हों।
हम आज भी अतिथि देवो भव: में ही विश्वास करते हैं। लेकिन, इसकी पहली शर्त ही मर्यादा है, जिसमें रहते हुए विदेशियों को ही नहीं, हर उस व्यक्ति को सम्मान मिलेगा, जो हमारे प्रदेश में आया है।

Saturday, June 12, 2010