Saturday, March 6, 2010

सूचना विभाग ऐसे भी तो भेज सकता है विज्ञप्ति

विनोद के मुसान
सूचना तकनीक के इस युग में जब आम आदमी इंटरनेट के संजाल को जेब में रखकर घूम रहा है, ऐसे में उत्तराखंड सरकार का सूचना विभाग शायद इससे अछूता है। तभी तो आज भी अखबार के दफ्तरों में रोज शाम को विभाग की एक गाड़ी मय दो कर्मचारियों के साथ माननीयों के छायाचित्र और प्रेस विज्ञप्ति देने पहुंच जाती है। व्यवस्था का आलम देखिए, जो काम मात्र कुछ रुपए और चंद सेकेंडों में किया जा सकता है, उसके लिए प्रदेश की सरकार न सिर्फ अधिक पैसा खर्च करती है, बल्कि राजकीय संसाधनों का भी दुरुपयोग किया जा रहा है।
आज भी प्रदेश का सूचना विभाग पुराने ढर्रे पर काम कर रहा है। डिजिटल तकनीक के इस युग में मैनवल कैमरों का प्रयोग किया जा रहा है। प्रेस विज्ञप्ति ई-मेल से भेजने के बजाए बकायदा एक राजकीय वाहन से भेजी जाती हैं। जिसमें अमूमन एक ड्राइवर और दो कर्मचारी साथ होते हैं। जबकि यह काम इंटनेट के माध्यम से आसानी से समय की बचत केसाथ और बहुत कम पैसे में पूरे किए जा सकते हैं।
मैं यहां पर बहुत ज्यादा ब्योरा नहीं देना चाहूंगा कि इसमें प्रतिमाह या सालभर में कितना खर्च होता है, लेकिन यह तय है कि इससे समय, पैसा और मानव संसाधनों का दुरुपयोग होता है।
राज्य के नीति-नियंता इस ओर ध्यान दें तो बहुत ज्यादा नहीं तो थोड-बहुत बचत हो सकती है। अगर इस साश्वत सत्य को दिमाग में रखें- बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है।

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